ऐ चंचल बेवफा साथी
तुम फिर हमें छोड़ चले?
अन्जुमन में अभी तो बसे थे
तुम बेइत्तिला मुख मोड़ चले?
मेरे रोके, तो क्या रुकोगे
इस जीवन का यही सिला
अपनी डोर तो तुमसे बंधी है
मेरी तुमसे बस यही गिला
मुसाफिर की बंदिश
बस यही धोका है
कि वक्त के सफर को
भला किसने रोका है
तुम फिर हमें छोड़ चले?
अन्जुमन में अभी तो बसे थे
तुम बेइत्तिला मुख मोड़ चले?
मेरे रोके, तो क्या रुकोगे
इस जीवन का यही सिला
अपनी डोर तो तुमसे बंधी है
मेरी तुमसे बस यही गिला
मुसाफिर की बंदिश
बस यही धोका है
कि वक्त के सफर को
भला किसने रोका है